लंड गयो मुरझाए चूत वैसी की वैसी

चुदी चूत चिप - चिप करे मुह देवे फैलाये !
बलिहारी उस लंड की जो प्रवेस कर जाये !!
लंड जी कहे चूत की ऐसी की तैसी !!!
लंड गयो मुरझाए चूत वैसी की वैसी !!!!

लोडे के पास दिमाग नहीं होता

मर्ज़ी से हो सेक्स तो पाप नहीं होता
कँवारी से हो तो मूड खराब नहीं होता
कंडम जरूर लगा मेरे दोस्त
कियोकी उस समय लोडे के पास दिमाग नहीं होता

लन्ड ने चूत को निशाना

जबसे लन्ड ने चूत को निशाना बना रक्खा है,
चूत ने भी लबों को अपने खोल रक्खा है।
टट्टो तुम चूत को पीटते क्यों हो,
तुम को किसने अन्दर जाने से रोक रक्खा है।
लन्ड के खौफ़ से चूत सहमी रहती थी पहले,
अब तो उस ने चुदाई का मज़ा चख रक्खा है।
चूत हर वक्त लन्ड को खुश आमदीद कहे,
लन्ड के रास्ते में उस ने छिड़काव कर रक्खा है।
चूत को लन्ड से मुहब्बत हो गयी कुछ ऐसी,
रात दिन उस ने दर अपना खुला छोड़ रक्खा है।
चूत लन्ड को नहला धुला कर बाहर भेजे,
लगता है उसने अन्दर हमाम बना रक्खा है।
चूत भी क्या चीज़ है, खट्टी भी तुर्श भी,
फिर भी उसके जूस में कितना मज़ा रक्खा है।
सब कोई लड़ाई झगड़े से नफ़रत है लेकिन,
चूत ने लन्ड के लिये मैदान बना रक्खा है।
लन्ड अन्दर जाये तो चूत, खिल खिल जाती है,
एक एक धक्के पर लन्ड के, चूत हिल हिल जाती है,
ऐसे मिलें जैसे ताल से ताल मिल जाती है,
इसी झटके इसी धक्के में तो मज़ा रक्खा है॥

दोस्ती

दोस्ती
फूलों सी नाजुक चीज है दोस्ती,
सुर्ख गुलाब की महक है दोस्ती,
सदा हँसने हँसाने वाला पल है दोस्ती,
दुखों के सागर में एक कश्ती है दोस्ती,
काँटों के दामन में महकता फूल है दोस्ती,
जिंदगी भर साथ निभाने वाला रिश्ता है दोस्ती ,
रिश्तों की नजाकत को समझती है दोस्ती,
रिश्तों में विश्वास दिलाती है दोस्ती,
तन्हाई में सहारा देती है दोस्ती,
मझधार में किनारा है दोस्ती,
जिंदगी भर जीवन में महकती है दोस्ती,
किसी-किसी के नसीब में आती है दोस्ती,
हर खुशी हर गम का सहारा है दोस्ती,
हर आँख में बसने वाला नजारा है दोस्ती,
कमी है इस जमीं पर समझने वालों की वरना इस जमीं पर बंदो की बंदगी है दोस्ती